अयोध्याउत्तर प्रदेश

तिकोनिया पार्क, अयोध्या: धरना सत्याग्रह में बदला, ब्राह्मण संगठनों का समर्थन जारी

बालजी दैनिक
अयोध्या l अपनी बेटी को खोने वाले पीड़ित परिवार ने न्याय की मांग करते हुए तिकोनिया पार्क पर शुरू किया गया धरना अब सत्याग्रह में बदल चुका है। प्रशासनिक लापरवाही और पुलिस की पक्षपाती भूमिका के खिलाफ यह आंदोलन व्यापक जनांदोलन का रूप ले रहा है। दर्जनों ब्राह्मण संगठन, समाजसेवी और स्थानीय लोग इस आंदोलन में परिवार का साथ दे रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में लोग धरने में शामिल हो रहे हैं, जिनमें वृद्ध और महिलाएं भी शामिल हैं।

परिवार का आरोप: “यह अन्याय के खिलाफ जीवन-मरण की लड़ाई है”

पीड़ित परिवार ने प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता के भाई ने कहा, “हमारी बहन की हत्या के बाद हमें लगातार डराया और धमकाया जा रहा है। जो अधिकारी मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी कर रहे थे, वे अब भी विपक्षियों का साथ दे रहे हैं। क्षेत्राधिकारी अरशद जैसे पुलिस अधिकारी अन्याय को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे लोगों को उनके पदों से हटाया जाना चाहिए।”

पीड़िता के पिता ने कहा, “हमने अपनी बेटी को खोया है और अब अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर डर लग रहा है। विपक्षियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है, जो किसी भी षड्यंत्र को अंजाम दे सकते हैं। जब तक क्षेत्राधिकारी अरशद पर कार्रवाई नहीं होगी, हम इस सत्याग्रह से नहीं हटेंगे। यह लड़ाई हमारी आखिरी सांस तक चलेगी।”

ब्राह्मण संगठनों और समाजसेवियों का समर्थन

ब्राह्मण समाज और अन्य संगठनों ने इस आंदोलन को पूरा समर्थन देते हुए इसे हर बेटी की सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई बताया है। हैदरगंज निवासी बब्बन तिवारी ने कहा, “यह केवल ब्राह्मण समाज की बेटी की लड़ाई नहीं है, बल्कि हर उस बेटी की लड़ाई है, जिसे न्याय नहीं मिला। यह उन परिवारों की लड़ाई है, जिनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई है। हम इस संघर्ष में पूरी ताकत से साथ हैं।”

समाजसेवी गुड्डू दुबे ने कहा, “एसएसपी की ईमानदारी की चर्चा हो रही है, लेकिन क्षेत्राधिकारी अरशद जैसे अधिकारी उनके आदेशों को कलंकित कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों को उनके पद से हटाया जाना चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”

धरने को रोकने की कोशिश नाकाम

पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बीकापुर के पास सैकड़ों लोगों को धरने में शामिल होने से रोकने की कोशिश की। बावजूद इसके, लोग अन्य रास्तों और पैदल चलकर धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। यह दिखाता है कि अन्याय के खिलाफ जनता अब एकजुट हो रही है।

ईश्वर पर विश्वास और न्याय की उम्मीद

धरने में शामिल लोगों का कहना है, “अगर प्रशासन से न्याय नहीं मिला, तो ईश्वर का न्याय निश्चित है। सत्य की जीत होगी और अन्याय करने वाले बच नहीं पाएंगे।”

आंदोलन का संदेश: “अन्याय के खिलाफ एकजुटता जरूरी”

तिकोनिया पार्क का यह आंदोलन अब एक बड़ा सत्याग्रह बन गया है। आंदोलनकारी इसे समाज के अधिकार और न्याय के लिए लड़ी जाने वाली एक ऐतिहासिक लड़ाई बता रहे हैं।

संगठनों ने कहा, “हम अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह सत्याग्रह तब तक जारी रहेगा, जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलेगा। यह हर बेटी और हर समाज की लड़ाई है।”

तिकोनिया पार्क के इस सत्याग्रह ने यह संदेश दिया है कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होना हर नागरिक का कर्तव्य है। यह आंदोलन सत्य की जीत के लिए जारी रहेगा।

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