जागरण का दिन है बसंत पंचमी – ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी
प्रयागराज ०३ फरवरी
बीके यादव/बालजी दैनिक
– आत्मा के सात गुणों का प्रतीक है वीणा के तार
– स्वर्णिम भारत ज्ञानकुम्भ में आध्यात्मिक रहस्यों सहित मनाया गया बसंत पंचमी का पर्व
– सरस्वती पूजा के अवसर पर दीदी ने परमात्मा को भोग स्वीकार कराया व सभी को तिलक दिया।
मां सरस्वती को ब्रह्मा की बेटी कहा जाता है। परमात्मा ने ब्रह्मा मुख से जो गीता ज्ञान दिया है उसके आधार पर ही सतयुगी संसार की स्थापना होनी है। मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने परमात्मा के इस गीता ज्ञान को अपने में संपूर्ण रूप से धारण किया तथा ज्ञान की देवी बन गई। जब हमारे अंतः चक्षु अर्थात् ज्ञान के नेत्र खुल जाते हैं तब हमसे भूलकर भी भूलें नहीं होंगी।हमारी दिव्य बुद्धि जागृत हो जाती है, यही सच्चा जागरण है।
उक्त बातें बसंत पंचमी के पावन अवसर पर ब्रह्मावत्सों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज प्रयागराज की प्रभारी ब्र.कु. मनोरमा दीदी ने कही। दीदी ने सरस्वती मां की वीणा के सात तारों का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि आत्मा में सात गुण निहित हैं। सुख, शान्ति, आनन्द, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति आत्मा के मूल गुण हैं। जब हम इन गुणों के सागर परमात्मा से अपना सम्बन्ध जोडते हैं तब हम इनके स्वरूप बन जाते हैं।
इस अवसर पर मां सरस्वती के निमित्त परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया व सभी भाई-बहनों को दीदी ने तिलक दिया।
ज्ञात हो कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर 7, बजरंगदास मार्ग पर स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ मेले का आयोजन किया गया है। मेले का अवलोकन करने प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन पहुंच रहे। विदेशी यात्री भी रूचि के साथ मेला देख रहे।
मनोरमा दीदी ने जानकारी दी कि स्वर्णिम भारत के निर्माण में आध्यात्मिकता का योगदान विषय पर बुधवार, 5 फरवरी दोपहर 3 बजे, स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ के प्रांगण में संत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें संत-महात्माओं एवं प्रबुद्धजनों के विचार सुनने को मिलेंगे। जो भी जिज्ञासु इस कार्यक्रम का लाभ लेना चाहते हैं वे सादर आमंत्रित हैं।