‘मान मनौव्वल’ से ‘सेवा सुरक्षा’ में बीता नायब सरकार का पहला माह
सुशील कुमार ‘नवीन’
एंटी इनकम्बेंसी को प्रो इनकम्बेंसी में बदल तीसरी बार सत्ता में लौटी हरियाणा की भाजपा सरकार का एक माह पूरा हो गया है। ‘मनोहर’ काल से इतर ‘नायाब’ राह पर अग्रसर नायब सैनी सरकार का कार्यकाल शीर्ष नेतृत्व के मान मनौव्वल से शुरू होकर संगठन और कार्य योजना विस्तार से होता हुआ सेवा सुरक्षा पर समाप्त हुआ है। सेवा सुरक्षा अपनी भी और सवा लाख कर्मचारियों की भी। मंत्रिमंडल को कार्य आवंटन के साथ कुछ ऐसे भी फैसले भी किए गए हैं,जो चर्चा में हैं। इसमें खासकर अनुसूचित जाति (एससी) के आरक्षण में वर्गीकरण,सीईटी पास को नौकरी मिलने तक दो वर्ष तक 9 हजार मासिक देना आदि, जॉब सिक्योरिटी, सौ सौ गज के प्लाट देना, आदि प्रमुख है।
प्रदेश में भाजपा का यह तीसरा कार्यकाल है। पहले दो कार्यकाल मनोहरलाल के नाम रहे है। दूसरे कार्यकाल के 56 दिन नायब सैनी को मिले थे। नायब सैनी का भी यह दूसरा कार्यकाल है। प्रदेश में भाजपा काल मनोहरकाल के नाम से ज्यादा चर्चा में रहा है। इसका कारण भी यही है कि 58 साल में पहली बार पूर्ण रूप से हरियाणा में सत्ता में आई भाजपा के पहले और दूसरे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही रहे हैं। दूसरे कार्यकाल के 56 दिनों के नायब सिंह शासन में भी मनोहर छाप साफ दिख रही थी। अब धीरे-धीरे नायब सैनी खुलकर खेलने के मूड में दिखने लगे है। चुनाव के दौरान पूर्ववर्ती भाजपा सरकार से किसानों, कर्मचारियों आदि की नाराजगी का नायब सिंह सैनी ने बखूबी महसूस किया है। इस नाराजगी को अब दूर कर अपने साथ इन्हें साधना इनकी जॉब बुक में शामिल है।
सरकार गठन के बाद से मुख्यमंत्री ने चार बार शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की है। एक सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री पद तो उन्हें प्राप्त हो गया है। अब इसे लगातार बनाए रखना किसी ‘ खांडे की धार ‘ से कम नहीं है। यो हरियाणा सै प्रधान, ये उक्ति हरियाणा के लिए ऐसे ही थोड़े है। ‘ झाड़ का झंझाड़ बनाना’ तो इन्हें बखूबी आता ही है साथ में ‘ बाल की खाल खींचने’ में ये माहिर हैं। राजनीति में तो ये ‘ गोह के जाए, सारे खुरदरे ‘ वाली उक्ति को चरितार्थ कर देते हैं। यहां इनके मायने तो और भी खतरनाक हो जाते हैं, जब एकजुटता हो जाए। आप ने ये कहावत भी सुनी होगी कि ऊत (बदमाश) नै ऊत गंगा जी के घाट पै टकरा ए जाया करै। सामने रखीं पकवान रूपी सत्ता की थाली का उठ जाना इतनी सहजता से विपक्ष के नहीं पच सकता। राजनैतिक जाल कभी भी बिछाया जा सकता है। इस बात को भली-भांति जान नायब सैनी मार्गदर्शन के लिए लगातार शीर्ष नेतृत्व के मान मनौव्वल में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। मुख्यमंत्रित्व रूपी जॉब की सेवा सुरक्षा तो इन्हें भी चाहिए। ऐसे में अभी वे ऐसा कोई मौका किसी को नहीं देना चाहते, जिससे उनके कार्य पर सवाल उठे।
सरकार के कार्यकाल की शुरुआत 17 अक्टूबर मंत्रिमंडल गठन से हुई। 19 अक्टूबर को दिल्ली दायरे के बाद मंत्रियों का विभागों का बंटवारा भी बिना किसी ना मुकर कर दिया गया। 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की गई । यह 17 दिन में उनकी दूसरी मुलाकात थी। इसी दौरान वे गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह , नितिन गडकरी और मनोहरलाल से भी मिले। नवंबर के दूसरे सप्ताह में 9 नवंबर को भी दिल्ली जाकर शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की। 8 दिन बाद 17 नवंबर को भी वे दिल्ली पहुंचे। देर रात दिल्ली पहुंचे नायब सैनी ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की। इसके बाद सुबह एयरपोर्ट पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की। दोनों केंद्रीय नेताओं ने उनकी हरियाणा के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। माह के दौरान 18 नवंबर को कैबिनेट की मीटिंग के अलावा चार दिवसीय विधानसभा सत्र तक का आयोजन हो चुका है।
नायब सैनी शुरुआत से ही अपनी कार्यप्रणाली से चर्चा में है। प्रदेश के कोने-कोने से पहुंचे फरियादियों से सीएम हाउस में मुलाकात से उनकी सुबह की शुरुआत होती है। अधिकारियों को भी प्रतिदिन दो घंटे शिकायतें सुनने को निर्देश दिए गए हैं। अपनी सरकार के कार्यकाल के पहले माह में उन्होंने हर वर्ग को साधने का लक्ष्य रखा है। इस माह में लिए गए कुछ फैसले इसे सार्थक भी सिद्ध कर रहे हैं। इस माह में सरकार ने युवा वर्ग से लेकर किसान, मजदूर, कर्मचारी समेत सभी वर्गों को साधने के फैसले किए गए हैं। प्रयास है कि 3.0 सरकार का कार्यकाल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दो कार्यकालों से अपनी अलग पहचान बनाए।
सरकार के कार्यकाल का एक माह पूरा हो चुका है। अभी शुरुआत है। आगे-आगे जैसे समय गुजरेगा। नायब सैनी का अनुभव भी बढ़ेगा। ये अनुभव प्रदेश के लिए हितकारी हो। मुन्नवर राणा की ये पंक्तियां उनके हौसले और कार्य को और आगे बढ़ाने का काम करेंगी। यही उम्मीद है।
बुलंदी देर तक,किस शख़्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत, हर घड़ी खतरे में रहती है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार है। दो बार अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हैं।