धर्म की सच्ची निष्ठा ही हमें मार्गदर्शन देती है और जीवन को संजीवनी शक्ति प्रदान करती है- देवकीनंदन ठाकुर
आज की कथा में महाराज श्री ने कहा कि बसंत पंचमी का स्नान अत्यंत अच्छे रूप से संपन्न हुआ और श्रद्धालुओं ने भी पूरी श्रद्धा और आदर के साथ स्नान किया। इस अवसर पर प्रशासन का योगदान सराहनीय रहा। महाराज श्री ने प्रशासन को साधुवाद दिया और उनके सहयोग की सराहना की।
महाराज श्री ने कहा, भक्त बनो, भगवान बनने की अवहेलना मत करो। धर्म का मजाक मत बनाओ, क्योंकि जब एक व्यक्ति अपनी आस्थाओं और सिद्धांतों पर पूरी तरह से निष्ठावान नहीं रहता, तो वह जीवन में गिरता चला जाता है। धर्म की सच्ची निष्ठा ही हमें मार्गदर्शन देती है और जीवन को संजीवनी शक्ति प्रदान करती है।
आप जैसे होंगे, समाज वैसा ही बनेगा। जितने भी प्रबुद्ध और जागरूक लोग हैं, उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हमें अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज को उन्नति की ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
भजन-कीर्तन, सत्संग और कथा श्रवण अत्यंत आवश्यक हैं। भजन करने से मन शुद्ध होता है और ईश्वर से जुड़ाव बढ़ता है। अच्छे कर्म न केवल हमें आंतरिक संतोष प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
संतों के चरणों में सिर झुकाना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यही मार्ग हमें सच्चे ज्ञान और आत्मिक शांति की ओर ले जाता है। जब हम अपनी सेवा में निष्ठा और समर्पण से अहंकार को दूर कर देते हैं, तो भगवान श्री ठाकुर जी स्वयं हमारे पास आकर हमें अपने आशीर्वाद से सजीव करते हैं। सेवा से न केवल मनुष्य का अहंकार मिटता है, बल्कि आत्मा की शुद्धि भी होती है, और भगवान का सान्निध्य मिलता है।
केश कटवाना हमारे संस्कारों और परंपराओं के खिलाफ माना जाता है, खासकर महिलाओं के लिए। महिलाओं को अपने बाल नहीं कटने चाहिए, क्योंकि बाल को जीवन की शक्ति और संजीवनी के रूप में देखा जाता है। यदि बाल सफेद होने लगे, तो इसे भगवान का एक संदेश माना जाता है कि वह हमें जीवन के बारे में कुछ विशेष समझाना चाहते हैं।
महाकुंभ में पूज्य महाराज श्री दिव्य कथाओं के माध्यम से हमें धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता का गहरा बोध कराएंगे।