खौफनाक है भारत में डिस्टर्ब मैरिज का सच !
एक एआई इंजीनियर ने बेंगलुरु में डिस्टर्ब मैरिज के कारण सुसाइड कर लिया. 34 साल के अतुल सुभाष बेंगलुरु में महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में डीजीएम के पद पर काम करते थे. अतुल सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड नोट और 90 मिनट का एक वीडियो भी छोड़ा है. अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और उसके परिजनों पर उत्पीड़न और अपने खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था, “मैं पैसे देने से मना करता हूं और मौत को चुनता हूं. मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे पैसे का इस्तेमाल वे लोग मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित करने के लिए करें. कोर्ट के बाहर ही मेरी अस्थियां गटर में बहा दी जाएं.” बिहार के समस्तीपुर जिले के वैनी पूसा रोड के रहने वाले अतुल सुभाष पर उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया ने कई मामले दर्ज करा रखे थे. उनकी पत्नी ने उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी.
विवाहित लोगों में सुसाइड की ऊंची दर
भारत में शादी के बाद पति-पत्नी को अक्सर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ये दुश्वारियां ही विवाहित लोगों में सुसाइड की ऊंची दर का कारण बनती हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2016 से 2020 के बीच 37,000 से अधिक सुसाइड शादी से संबंधित मुद्दों के कारण हुए. विशेष रूप से 10,584 सुसाइड विवाह न होने के कारण और 10,282 दहेज से संबंधित मुद्दों के कारण हुए. जबकि 2,688 सुसाइड के मामले सीधे तलाक से संबंधित थे. आंकड़े बताते हैं कि विवाहित पुरुषों में सुसाइड की आशंका विवाहित महिलाओं की तुलना में अधिक होती है. इसका कारण अक्सर सामाजिक दबाव और आर्थिक तनाव होता है.
मानसिक स्वास्थ्य पैदा करता है संकट
सुसाइड के मुख्य कारणों में घरेलू हिंसा भी है. घरेलू हिंसा सुसाइड करने वाली एक-तिहाई महिलाओं को प्रभावित करती है. दूसरा बड़ा कारण है आर्थिक निर्भरता. क्योंकि भारत में ज्यादातर घरों में कमाने वाले पुरुष ही होते हैं. महिलाएं आर्थिक रूप से पति पर निर्भर होती हैं. इसके अलावा, अरेंज मैरिज भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं. क्योंकि कई महिलाएं और पुरुष अपनी परिस्थितियों में फंसा हुआ महसूस करते हैं. पारिवारिक अपेक्षाओं का दबाव और घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ इन समस्याओं को और बढ़ा देता है, जिससे एक मानसिक स्वास्थ्य संकट पैदा होता है. भारत में शादी के बाद होने वाले सुसाइड के लिए सामाजिक कारण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. क्योंकि समाज ने जो पारंपरिक मानदंड और सामाजिक अपेक्षाएं बना रखी हैं उससे तनाव पैदा होता है. इसकी मुख्य वजह ये हैं…
क्या अरेंज्ड मैरिज बनती हैं वजह?
भारत में होने वाली शादियां अमूमन अरेंज्ड होती हैं. इसकी वजह से ज्यादातर पति-पत्नियों के बीच भावनात्मक निकटता की कमी होती है. इससे विशेष रूप से महिलाओं में अकेलापन और निराशा की भावना पैदा हो सकती है. क्योंकि वे पारिवारिक और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण अपमानजनक रिश्तों में फंसा हुआ महसूस कर सकती हैं. तलाक के बाद होने वाली बदनामी इस समस्या को और बढ़ा देती है. इसीलिए लोग सामाजिक प्रतिक्रिया से बचने के लिए असंतुष्ट विवाह में रहने के लिए मजबूर होते हैं.
कमजोर समझे जाने से डरता है पुरुष?
हमारे समाज में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग भूमिकाएं तय हैं. जहां पुरुषों से अपनी कमाई से घर चलाने की उम्मीद की जाती है और महिलाओं को अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित कर दिया जाता है. यह दबाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है. खासतौर से पुरुषों के लिए जो कमजोर के रूप में देखे जाने के डर से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते या मदद नहीं मांग पाते. दूसरी ओर, महिलाएं घरेलू हिंसा को अपने वैवाहिक जीवन का सामान्य हिस्सा मान सकती हैं, जिससे उनके बीच सुसाइड की दर बढ़ जाती है.
जब लगने लगता है सुसाइड है अंतिम विकल्प?
भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में कम बात की जाती है. हमारी सामाजिक मान्यताएं ऐसी हैं कि वो लोगों को खासकर पुरुषों को मदद मांगने से रोकते हैं. समाज में अक्सर भावनात्मक संकट के बारे में खुली चर्चा को हतोत्साहित किया जाता है. जिससे इस समस्या से जूझ रहे लोगों में असहायता की भावना पैदा होती है. वैवाहिक समस्याओं का सामना करने वाले व्यक्ति महसूस कर सकते हैं कि उनके पास अपने कष्ट को चुपचाप सहने या सुसाइड करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
दहेज की मांग से बढ़ता है जोखिम?
भारतीय समाज में कम ही महिलाएं आर्थिक तौर पर सक्षम होती हैं. इसलिए वो ज्यादातर आर्थिक आजादी की कमी का सामना करती हैं. शादी के बाद अपने पति पर आर्थिक रूप से निर्भरता उन्हें अपमानजनक या असंतोषजनक विवाहों में फंसा सकती है. इसके साथ ही अगर उसे दहेज की मांग या ससुराल में हिंसा जैसे तनावों का सामना करना पड़े तो सुसाइड का जोखिम बढ़ जाता है.
निजी हितों को प्राथमिकता ना देना गलत?
शादी के बाद पारिवारिक दबावों की भूमिका भी अहम होती है. इसमें पति और पत्नी दोनों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने निजी हितों को पारिवारिक प्रतिष्ठा से ऊपर नहीं रखेंगे. इसकी वजह से रिश्तों में तनाव बढ़ता है और वे घुटन भरी हो जाते हैं. इससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में मानसिक स्वास्थ्य संकट पैदा होता है. जिसकी वजह से सुसाइड के मामलों में वृद्धि हो सकती है.इसके अलावा विवाहित जीवन में तनाव और असंतोष कई कारणों से पैदा हो सकते हैं. यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं जो परेशानियों की वजह बन सकते हैं…कई शादियों में खराब कम्युनिकेशन एक आम समस्या है. जब जोड़े अपनी भावनाओं, जरूरतों और चिंताओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते, तो गलतफहमियां और नाराजगी बढ़ सकती हैं, जिससे वैवाहिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं.