कविता

तुलसी विवाह

हरी-भरी तुलसी खिली रहती मेरे आंगन मनभावन,
बारहों मास बरसे सुख का अमृत”आनंद” सावन ।

प्रतिदिन सुबह शाम धूप, दीप, आरती करूं,
नित प्रातःकाल चितमन से तुलसी पूजन करूं,
हरिप्रिया मात तुलसी को शीश झुका नमन करूं,
श्रद्धा भक्ति भाव से जप, कीर्तन और वंदन करूं,
तुलसी जी उत्तम स्वास्थ्य प्रदायिनी, शोकनसावन,
बारहों मास बरसे सुख का अमृत “आनंद” सावन ।

शालिग्राम साक्षात् हरी औ तुलसी है वृंदा प्यारी,
देवउठनी एकादशी को करी विवाह की तैयारी,
देवी देवता हुए जागृत हर्षित हुई दुनिया सारी,
चार मास उपरांत आई अतिशुभ कर्मो की बारी,
शालिग्राम-तुलसी पूजन से प्रसन्नचित्त हो तन मन,
बारहों मास बरसे सुख का अमृत “आनंद” सावन ।

सत् मेरा सदा बनाए रखना ओ मेरी तुलसी माता,
तुम ठाकुर जी को बहुत प्यारी सुख समृद्धि दाता,
महालक्ष्मी स्वरूपा भव निधियों की देवी जग माता,
जिस पर हो तुम्हारी कृपा दुःख उसे कभी न सताता,
जरा-मृत्यु से मुक्त करो कर जोड़ करूं मैं सुमिरन,
बारहों मास बरसे सुख का अमृत “आनंद” सावन ।

हरी-भरी तुलसी खिली रहती मेरे आंगन मनभावन,
बारहों मास बरसे सुख का अमृत “आनंद” सावन ।
–  मोनिका डागा  “आनंद”, चेन्नई, तमिलनाडु

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