गोपियों के संवाद से उद्धव को मिला प्रभु प्रेम का ज्ञान – देवेन्द्र प्रसन्नाचार्य

श्रीमद् भागवत कथा में पांचवे दिन श्रोता कर रहे उद्धव गोपी संवाद का अमृतपान
बलराम मौर्य/ बालजी दैनिक
अयोध्या धाम l सात दिवसीय संगीतमई श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन सहदतागंज में प्रसिद्ध कथा वाचक श्री देवेन्द्र प्रसन्नाचार्य जी महाराज के मुखारविंदु आज के प्रसंग उद्धव गोपी संवाद की कथा में श्रोता भाव विभोर हो गए l देवेन्द्र प्रसन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने से दुखी गोपियों की भावनाओं का बड़ा मार्मिक चित्रण हुआ है। वे उद्धव से अनुरोध करती हैं कि योग और ज्ञान की शिक्षा उनको दें जिनका किसी से दृढ़ प्रेम-भाव नहीं है। हमारे मन, वचन और कर्म में तो श्रीकृष्ण दृढ़ता से समाए हुए हैं । उन्हें पूरी तरह से यह उम्मीद थी कि श्रीकृष्ण जब मथुरा से वापिस ब्रज क्षेत्र में आएंगे तब उन्हें उनका खोया हुआ प्रेम वापिस मिल जाएगा। वे अपने हृदय की पीड़ा उनके सामने प्रकट कर सकेंगी पर जब श्रीकृष्ण की जगह उद्धव उनकी योग-साधना का संदेश लेकर गोपियों के पास आ पहुँचा तो गोपियों की सहनशक्ति जवाब दे गई। देवेन्द्र प्रसन्नाचार्य जी महाराज आगे कहते हुए बताया कि गोपियों ने योग ज्ञान की तुलना कड़वी ककड़ी से की है। उनका कहना था कि जिस प्रकार कड़वी ककड़ी खाई नहीं जाती उसी प्रकार उद्धव द्वारा कही गई योग ज्ञान की बातें उन्हें स्वीकार नहीं है क्योंकि उन्होंने अपने मन में श्रीकृष्ण को बसा लिया है। उनका मन श्रीकृष्ण में रम गया है। इसी कथा के क्रम में भगवान कृष्ण की दिव्य झांकी निकली गई । मुख्य यजमान पप्पू मोदनवाल और उनके परिवार के सत्यम सहित सम्पूर्ण परिवार के लोग कथा श्रवण कर धन्य हो रहे है l कथा में सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे l