उत्तराखण्ड

उत्तराखंड पुलिस ने सिम कार्टेल का किया भंडाफोड़ , पढ़िए डिटेल

देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –

देहरादून , 1 अक्टूबर , उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाले एक मास्टर माइन्ड साइबर अपराधी को थाना मंगलौर क्षेत्र हरिद्वार से गिरफ्तार किया है । गिरफ्तार मास्टरमाइंड अभियुक्त द्वारा अब तक 20 हजार से ज्यादा सिम कार्ड को एक्टिवेट कर फर्जी तरीके से दक्षिण एशियाई देशों  थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार आदि देशों के अलावा भारत के कई राज्यों के साइबर ठगों  को उपलब्ध कराया है । पकडे गये मास्टर माईंड ने थाना मंगलौर क्षेत्र में घर घर जाकर कई महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम अथवा कंपनी की ओर से कप का सेट देने का लालच देकर उनके आधार कार्ड आदि दस्तावेज व बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा निशानी लेकर फर्जी तरीके से हजारों सिम कार्ड को एक्टिवेट किया है ।

पकड़े गये मास्टरमाइंड अभियुक्त द्वारा फर्जी तरीके से प्राप्त इन हजारों सिम कार्ड को चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम  से साइबर ठगों को 3 रुपये  से लेकर 50 रुपये प्रति ओटीपी के हिसाब से सिम कार्डस बेचे जा रहे थे। चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित उक्त व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से सुदूर विदेशों में बैठे अन्य अभियुक्तों के द्वारा इन भारतीय सिमों पर व्हाट्सएप व अन्य एप्लीकेशन एक्टिवेट कर व्हाट्सएप कॉलिंग कर या इंस्टाग्राम पर मासूम लोगों को अपने जाल में फंसा कर ट्रेडिंग/इन्वेस्टमेंट के नाम पर व अन्य लालच देकर पूरे भारतवर्ष में साइबर ठगी की जा रही थी ।

अभियुक्त के कब्जे से 1816 सिम कार्ड, दो चैक बुक, 5 मोबाइल फोन व 02 बायोमेट्रिक डिवाइस बरामद

 

पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखण्ड निलेश आनन्द भरणे द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि माह अप्रैल-2024 में माजरी माफी मोहकमपुर देहरादून निवासी एक पीडित/शिकायतकर्ता की तहरीर के आधार पर थाना नेहरू कॉलोनी जनपद देहरादून पर दर्ज मुकदमे की विवेचना एस0टी0एफ0/साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुई थी जिसमें पीड़ित द्वारा बताया गया कि वह पिछले 08 महीने से फेसबुक पर कथित कल्याणी निवासी चेन्नई नामक फेसबुक फ्रैण्ड के सम्पर्क में था जिसके द्वारा Metal Advisor का कार्य करना बताया गया था और वह किसी वेबसाइट पर लोगों को पैसा इन्वेस्ट कर तीन गुना मुनाफा कमाने को कहती थी। उसके द्वारा फेसबुक पर कई ऐसी chat के स्क्रीनशॉट डाले गये थे जिसमें लोगों ने तीन गुना फायदा होने की बात स्वीकार की गयी थी। उसके द्वारा कई महीनों तक नोटिस करने के बाद खुद भी इन्वेस्टमेंट करने का फैसला किया और उक्त कल्याणी से जानकारी प्राप्त की गयी जिसके द्वारा उसे अपने व्हाट्सएप नम्बर दिये गये और फिर व्हाट्सएप पर एक website का link भेजकर बताया कि कैसे- कैसे उसे उस website पर अपना user ID बनाना है और भी क्या-क्या करना है फिर एक प्रोग्रामर का व्हाट्सएप नंबर दिया जिसके द्वारा बताना शुरू किया कि क्या करना है website पर कहा जाना है कौन सा link open करना है आदि आदि।

उन पर विश्वास कर वह उनके बताये अनुसार वैसा-वैसा करता गया और सबसे पहले 10,000/- रुपये इन्वेस्ट किये जिसका मुनाफा 02 दिन के अन्दर कुल रुपये 23,776/- उसके बैंक अकाउंट में आ गये।  उसके बाद उसने 25,000/- रुपये इन्वेस्ट किये तो बताया कि Management के द्वारा limit Minimum 50,000 रुपये कर दिये हैं जिसके लिये आपको 25 हजार रुपये और इन्वेस्ट करने होंगे नहीं तो पहले के 25 हजार भी नहीं निकाल पाओगे। उसके द्वारा 25 हजार का नुकसान बचाने के लिये और 25 हजार रुपये उनके बताये गये खाते में इन्वेस्ट हेतु जमा कर दिये गये और उन्हें पहले की तरह गाईड करने को कहा ताकि मैं पैसा निकाल सकूं किन्तु उनके द्वारा पुनः पॉलिसी बदलने की बात कहकर और एक लाख रुपया जमा करने को कहा गया। शक होने पर जब उसके द्वारा साइबर क्राइम को रिपोर्ट करने की बात कही तो उसका नं0 ब्लॉक कर दिया गया और वह Website-  td network.info एवं tdnetwork.top भी बन्द आ रहे हैं।

उक्त प्रकरण की गंभीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस उपाधीक्षक साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून के निकट पर्यवेक्षण में पुलिस टीम गठित की गयी  एवं अभियोग के शीघ्र एवं सफल अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। विवेचक निरीक्षक विकास भारद्वाज के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों,  सर्विस प्रदाता कम्पनी  तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र किये गये साथ ही विवेचना से यह तथ्य भी प्रकाश में आये कि घटना में प्रयुक्त कॉलिंग मोबाइल नम्बर धारक महिलाओं से घटना के मास्टरमाइंड अभियुक्त द्वारा  सरकारी स्कीम के तहत कप का सेट देने की बात कहकर उनका आधार कार्ड, फोटो व एक मशीन पर अंगूठे का निशान लिया था व उन्हें धोखे में रखकर व झूठ बोलकर उनकी आई0डी0 पर सिम कार्ड निकलवाया गया है।

उक्त समस्त तथ्यों, साक्ष्यों एवं विवेचना का समेकित रुप से विश्लेषण के आधार पर घटना में संलिप्त  मुख्य अभियुक्त को चिन्हित किया गया एवं  तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी और आखिरकार साइबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग के मास्टर माइन्ड एवं मुख्य अभियुक्त  साहिल  (काल्पनिक नाम) निवासी मंगलौर जनपद हरिद्वार  को  गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से  1816 सिम कार्डस, दो चैक बुक, 05 मोबाइल फोन व 02 बायोमैट्रिक डिवाइस बरामद हुई।मामले की विवेचना इंस्पेक्टर विकास भारद्वाज ने की, जिनका सहयोग एडिशनल एसपी चंद्रमोहन सिंह एवं पुलिस उपाधीक्षक आर0वी0 चमोला की देखरेख में एसटीएफ इंस्पेक्टर एन के भट्ट और उनकी टीम ने किया। उन्होंने डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा को मामले की बारीकी से निगरानी करने का निर्देश दिया. डिप्टी एसपी मिश्रा ने मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करने के लिए I4C, गृह मंत्रालय के साथ समन्वय किया और पूरे भारत में कई आपराधिक शिकायतें मिलीं।

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