ग्राम प्रधान पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप, न्यायालय के आदेश की अवहेलना
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लखन लाल शुक्ल
बी न्यूज दैनिक
गोंडा। जिले के करनैलगंज तहसील क्षेत्र में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का एक गंभीर मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत धर्मपुर, विकास खंड कटरा बाजार में ग्राम प्रधान कमलेश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से खड़ंजा निर्माण कराना शुरू कर दिया है, जबकि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन द्वारा इस भूमि को पूर्व में अतिक्रमण मुक्त कराया गया था।
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर गरमाया
मामले के अनुसार, गाटा संख्या 272, 273 और 274 पर क्रमशः पंचायत भवन, प्राथमिक विद्यालय और सामुदायिक विकास केंद्र स्थित हैं। पहले इन भूखंडों पर अमरेश सिंह पुत्र जगरूप सिंह और फूलचंद सिंह पुत्र जयपत्तर सिंह का अवैध कब्जा था। उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इस कब्जे को हटवाया था। लेकिन अब आरोप है कि ग्राम प्रधान कमलेश सिंह ने अपने निजी स्वार्थ में इस भूमि पर पुनः कब्जे की साजिश रची और वहां खड़ंजा निर्माण शुरू करा दिया।
न्यायालय के आदेश की अवहेलना, प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
ग्राम प्रधान पर आरोप है कि वे अपने स्वार्थ के लिए सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने निजी गाटा संख्या 270 के पूर्व की सरकारी भूमि को भी छोड़ दिया है, जबकि उनके मकान का निर्माण इसी भूखंड में किया गया है। इसके अलावा, गाटा संख्या 243 जो कि बंजर भूमि है, उस पर भी प्रधान द्वारा अवैध कब्जे का आरोप है।
यह मामला न केवल सरकारी संपत्ति के अतिक्रमण से जुड़ा है, बल्कि न्यायालय के आदेशों की अवमानना का भी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह सरकारी जमीन हमेशा के लिए हड़पी जा सकती है।
पीड़ित पक्ष ने की मुख्यमंत्री से शिकायत
इस मामले में शिकायतकर्ता सहदेव सिंह पुत्र फौजदार सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवैध कब्जे को तुरंत हटवाने और दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने इस पत्र की प्रति गोंडा जिले के जिला अधिकारी और उप जिला अधिकारी करनैलगंज को भी भेजी है।
क्या प्रशासन करेगा सख्त कार्रवाई?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या सरकारी जमीन को फिर से कब्जा मुक्त कराया जाएगा? क्या ग्राम प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? यह मामला प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। अगर जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो न्यायालय की अवमानना के साथ-साथ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को बढ़ावा मिलने का खतरा बना रहेगा।