रानी रेवती देवी में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा व्यसनों से बचने के उपाय बताए गए
प्रयागराज ०२ नवंबर
बीके यादव/ बालजी दैनिक
व्यसन के तीन मुख्य प्रकार हैं: शारीरिक व्यसन, व्यवहारिक व्यसन, और आवेग नियंत्रण विकार -श्री भगवान सिंह
रजोगुण को उत्पादक शक्ति, सतोगुण को पालक शक्ति और तमोगुण को विनाशक शक्ति कहते हैं- बांके बिहारी पाण्डेय
प्रयागराज विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर प्रयागराज में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय की अध्यक्षता में व्यसनमुक्त स्वर्णिम भारत महा अभियान के अंतर्गत व्यसनों से मुक्ति एवं उससे होने वाले बुरे प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारियां प्रदान की एवं समस्त छात्र-छात्राओं को उससे संबंधित पुस्तके वितरित की l
विद्यालय के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता के अनुसार पूर्व जिला जज एवं गायत्री परिवार के स्थानीय प्रतिनिधि श्री भगवान सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यसन से मुक्ति वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति मादक द्रव्यों के सेवन या व्यवहारिक निर्भरता पर काबू पाने और अपने जीवन पर नियंत्रण पुनः प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसमें एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है जिसमें शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक उपचार शामिल है। व्यसन के तीन मुख्य प्रकार हैं: शारीरिक व्यसन, व्यवहारिक व्यसन, और आवेग नियंत्रण विकार। शारीरिक लत तब लगती है जब शरीर किसी पदार्थ पर इतना निर्भर हो जाता है कि इसके बिना उसे वापसी के लक्षण महसूस होते हैं।
इसी संबंध में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने बताया कि संसार में हमें किसी भी पदार्थ में तीन प्रकार की शक्तियों के काम करने का अनुमान होता है । कोई शक्ति किसी पदार्थ को उत्पन्न करती है , दूसरी शक्ति उसका पोषण करती है और तीसरी शक्ति उसका विनाश कर देती है । इन शक्तियों को हम क्रमशः रजोगुण , सतोगुण और तमोगुण कहते हैं । यहाँ ‘ गुण ‘ का अर्थ प्रकृति का स्वभाव है । इन गुणों को हम देख नहीं पाते । इनके कार्यों से इनके होने का अनुमान होता है । हमारे शरीर की उत्पत्ति में रजोगुण कारण है और उसी के द्वारा शरीर बढ़ता है । सतोगुण उसका पोषण करते हुए उसका अस्तित्व बनाये रखता है l,तमोगुण के कारण शरीर बदलता रहता है और अंत में नष्ट हो जाता है । किसी पदार्थ का उत्पन्न होना , कुछ काल ठहरना और अन्त में नष्ट हो जाना- यह क्रमशः रजोगुण , सत्त्वगुण और तमोगुण के कारण होता है । इसीलिए रजोगुण को उत्पादक शक्ति , सत्त्वगुण को पालक शक्ति और तमोगुण को विनाशक शक्ति कहते हैं ।
उनके साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार के रामदेव यादव, सरयू प्रसाद एवं देवव्रत जी ने भी उनका सहयोग किया l इस अवसर पर विद्यालय के समस्त अध्यापक अध्यापिकाएं एवं छात्र-छात्राओं ने इस अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की शपथ भी ली l आए हुए अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने तथा कार्यक्रम का कुशल एवं सफल संचालन दिनेश कुमार शुक्ला ने किया l