महाकुंभ में शाही और Amrit Snan में क्या अंतर है?
महाकुंभ मेले में स्नान(Amrit Snan) करना आत्मा और मन की शुद्धि का प्रतीक है. महाकुंभ के दौरान स्नान करने का महत्व और लाभ अधिक होता है. लेकिन महाकुंभ में केवल स्नान नहीं होता बल्कि शाही स्नान भी होता है. यह एक धार्मिक अनुष्ठान है. यह आयोजन ना केवल आध्ययात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि कुंभ मेले के शुभारंभ का प्रतीक माना गया है.
महाकुंभ में शाही स्नान और अमृत स्नान(Amrit Snan) को लेकर लोगों में बहुत संशय है. महाकुंभ में शाही स्नान और अमृत स्नान दोनों में बड़ा अंतर है. शाही और अमृत स्नान के बीच बहुत गहरा अंतर यह है कि महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान को अगर हम शाही कहते हैं, इसकी छवि सिर्फ राजसी स्नान के रूप में ही बनकर रह जाएगी लेकिन अमृत स्नान कहलाने पर इसका प्रभाव जीवन में सकारात्मक रूप से पढ़ेगा.
महाकुंभ में शाही स्नान क्या है?
शाही स्नान कुंभ मेले का एक खास अनुष्ठान है. शाही स्नान कुछ प्रमुख तिथियों पर किए जाता है. इस दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है शाही स्नान करने से पाप दूर होते हैं. यह महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में किये जाने वाले स्नान को अगर हम शाही कहते हैं. शाही स्नान साधु संतों को सम्मान के साथ स्नान कराया जाता है इसीलिए इसे शाही स्नान कहा जाता है. इस दौरान जल बेहद चमात्कारिक हो जाता है. शाही स्नान ग्रह नक्षत्रों के बेहद शुभ स्थिति में किया जाता है.
महाकुंभ में अमृत स्नान क्या है?
अमृत स्नान(Amrit Snan) में पहले साधु संत स्नान करते हैं फिर श्रृद्धालु स्नान करते हैं. अमृत स्नान आत्मा को शुद्ध करता है और पापों का नाश होता है. इसमें विभिन्न अखाड़ों के साधु संत स्नान करते हैं. महाकुंभ में कुल 3 अमृत स्नान थे. पहला 14 जनवरी, 2025 मकर संक्रांति के दिन था, दूसरा 29 जनवरी, मौनी अमावस्या के दिन था, वहीं तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी, बसंत पंचमी के दिन था. इस दौरान लोग संगम तट पर पवित्र स्नान करते हैं.