जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है तो भगवान लेते हैं अवतार- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
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महाकुंभ नगर ३० जनवरी
बीके यादव/ बालजी दैनिक
गुरुवार की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि प्रयागराज कुंभ केवल मानवों के लिए ही नहीं, बल्कि देवताओं के लिए भी अत्यंत पावन और दुर्लभ अवसर होता है। देवता स्वयं इस महापर्व में शामिल होकर अपने को धन्य मानते हैं ।
प्रयागराज में मची भगदड़ पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। यह अत्यंत आवश्यक है कि लोग प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करें और अव्यवस्था से बचें। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अनावश्यक रूप से एकत्रित न हों ।
जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है और पाप अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है, तब भगवान स्वयं अवतार लेते हैं। यह सत्य श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है—”यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥” अर्थात जब भी धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तब भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की रक्षा करते हैं और अधर्म का नाश करते हैं।
आजकल रिश्तों में दरार डालने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन बन गया है। घर में लोग एक-दूसरे से अधिक मोबाइल से जुड़े रहते हैं, जिससे रिश्तों में दूरियां बढ़ रही हैं। हमें तकनीक का उपयोग समझदारी से करना चाहिए और परिवार को प्राथमिकता देनी चाहिए, तभी घर में सच्ची खुशी और शांति बनी रहेगी।
कथा को हमेशा सच्चे मन और श्रद्धा के साथ सुनना चाहिए, क्योंकि केवल बाहरी रूप से सुनने से उसका वास्तविक प्रभाव हृदय पर नहीं पड़ता। जब हम सच्चे मन से कथा सुनते हैं, तो उसके दिव्य संदेश हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं और हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
धर्म के पथ पर चलने वाले को सदैव सत्य बोलना चाहिए, क्योंकि सत्य ही ईश्वर का स्वरूप है। जो व्यक्ति सत्य को अपनाता है, वह जीवन में किसी भी परिस्थिति में भयमुक्त रहता है और आत्मिक शांति प्राप्त करता है।
जो भी व्यक्ति धर्म के मार्ग से भटक जाता है और अधर्म के रास्ते पर चलता है, उसका पतन निश्चित होता है। अधर्म का मार्ग दिखने में आकर्षक हो सकता है, लेकिन अंततः वह व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाता है। इतिहास गवाह है कि जिन्होंने धर्म का त्याग कर अधर्म का सहारा लिया, उनका अंत अत्यंत दुखद और कष्टमय हुआ।