“गरबा नृत्य में दिखा संस्कृति, परंपरा और ऊर्जा का संगम”
प्रयागराज ०४ दिसंबर
बीके यादव/ बालजी दैनिक
पनिहारी, छपेली व लावणी नृत्य की धमाल से गूंज उठा शिल्प हाट
भारतीय संस्कृति के समृद्ध बहुआयामी रंगों के कड़ी के रूप में पिरोकर एनसीजेडसीसी द्वारा शिल्प हाट के प्रागंण में आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की चौथी सांस्कृतिक संध्या में पधारे दर्शकों द्वारा समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की एकरूपता का दर्शन करते हुए गंगा यमुना तहजीब से सरोबार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद लिया।
शिल्प मेले में एक तरफ जहां विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की महक वहीं दूसरी ओर महिलाओं को आकर्षित करते हुए अनेकों प्रकार के हस्तनिर्मित देशज परिधान और सामाग्रियों के साथ सुगन्धित इत्र की शोभा शिल्प मेला को भव्यता प्रदान कर रहे हैं। टेराकोटा तथा लकड़ी के खिलौने व गृह शोभा की सामाग्रियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। बुधवार को विभिन्न राज्यों से आए कलाकरो ने विविधता को एकता में पिरोते हुए कार्यक्रमों की ऐसी झड़ी लगाई कि मुक्ताकाशी मंच तालियों से गूंज उठा। सांस्कृतिक संध्या की कड़ी में प्रयागराज के भजन गायक संजय मित्रा ने अपनी मीठी आवाज में भजनो की माला से कार्यक्रम को गति दी श्याम रंग रंगा रे, हे दुख बाहन हो रही है जय जय कार तथा मेरा रंग दे बसंती चोला व वाह कौन है तेरा मुसाफिर… की प्रस्तुति को श्रोताओं ने खूब सराहा। इसी क्रम में महोबा से आए शरद अनुरागी एवं दल ने महोबा की लड़ाई खट खट खट खट देगा बोले बाजे छपक छपक तलवार को आल्हा गायन के जरिए पेश किया। इसके बाद कश्मीर के कलाकारों द्वारा गीतों पर अपने पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित होकर सारंगी की मधुर तान पर खूबसूरत रऊफ नृत्य की प्रस्तुति दी गई। वही उत्तराखंड की माटी की सोंधी महक को प्रकाश विष्ट एवं उनके साथी कलाकारों ने छपेली नृत्य के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया। इसके बाद महाराष्ट्र से पधारी श्रद्धा सतविद्कर एवं दल ने महाराष्ट्र का पारंपरिक लावणी लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा तमिलनाडु से आए शिवाजी राव एवं दल ने कड़गम- मयूर नृत्य की प्रस्तुति दी, जबकि वनराज सिंह एवं दल द्वारा गुजरात का प्रसिद्ध लोकनृत्य गरबा की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन रेनूराज सिंह ने किया।