जा तोंसे नही बोलूं कन्हैया राह चालत पकडे मोरी बईया
प्रयागराज
03.12.2024
बीके यादव/ बालजी दैनिक
राष्ट्रीय शिल्प मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या में नृत्य नाटिका को दर्शकों ने खूब सराहा
तेरी करुणा से सब की है बिपदा टली जय हो बजरंगबली, जटा जुट में गंग विराजे माथे अर्द्ध चन्द्रमा विराजे ॐ नमः शिवाय, मेरे उठे विरह के पीर सखी वृन्दावन जाउंगी, जिस भजन में राम का नाम हो उस भजन को गाना न चाहिए तथा मैली चादर ओढ़ के कैसे.. दरश बिन दुखन लागे नैन…. रामा रामा रटते रटते.. जा तोंसे नही बोलूं कन्हैया…. जैसे गीतों ने उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या को खास बनाया। प्रयागराज के रत्नेश दुबे और मास्टर प्रत्यूष श्रीवास्तव ने भजनों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर अलग ही माहौल पेश किया। दिल्ली से पधारी नेहा महावर ने अपने दल के साथ नृत्य नाटिका में गंगा अवतरण की कथा को नृत्य के जरिय दर्शकों के सम्मुख पेश किया। इस प्रस्तुति को देखकर लोगों में खास उमंग और उत्साह दिखा। भक्ति से परिपूर्ण इस नृत्य की दर्शकों ने खूब सराहना की। रविवार को लोकनृत्यों की कड़ी में असम के नितुल चोटिया और दल ने बिहू लोकनृत्य प्रस्तुत किया। झारखंड के सुबोध परमाणिक और साथी कलाकारों ने शहनाई, ढोल व नगाड़े की थाप पर पैका एवं छाऊ नृत्य पेश कर खूब वाहवाही पाई। डिंडोरी से आए सुमन परस्ते ने रीन शैला नृत्य किया। सागर से आए नदीम राइन एवं दल ने बधाई एवं नौरता नृत्य पेश किया। मुक्ताकाशी मंच पर समस्त कलाकारों ने पद,ताल, अंग संचालन एवं मुद्राओं के माध्मय से दर्शकों को आह्ललादित किया। इसके अलावा मंगलवार को देश भर से लाये गये शिल्प उत्पादों ने भी लोगों का ध्यान खींचा। कार्यक्रम का संचालन रेनू राज सिंह ने किया।
वुधवार की प्रस्तुतियां- बुधवार को मुक्ताकाशी मंच पर कई रंगारंग प्रस्तुतिया कलाकारों द्वारा दी जाएगी, जिसमें उत्तराखंड, कश्मीर, के लोकनृत्य गुजरात का डांडिया, गरबा, महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, तमिलनाडु का कावड़ी- कड़गम, महोबा का आल्हा गायन की प्रस्तुति होगी।