बहुआयामी प्रतिभा के धनी है वायु सेना के ग्रुप कैप्टन रमेश चंद्र त्रिपाठी
अनीता तिवारी , बालजी दैनिक
देहरादून , 17 अक्टूबर , कहते हैं प्रतिभा किसी भी परिस्थिति का मोहताज नहीं होती है इस बात को चरितार्थ किया है ग्रुप कैप्टन रमेश चंद्र त्रिपाठी ने,वायु सेना मेडल वीरता से सम्मानित पौड़ी के थैलीसैंण क्षेत्र के क्षेत्र के निवासी हैं जिन्होंने एक साधारण से परिवार से रहते हुए भारतीय वायु सेवा को ज्वाइन किया। 1988 में भारतीय सेवा वायु सेवा को ज्वाइन किया ।
अपनी प्रतिभा की बदौलत उन्होंने कई कीर्तिमान और उपलब्धियां को हासिल किया 59 साल की उम्र में भी आज भी कई रोमांचक और जुनून भरे कामों को अंजाम दे रहे हैं । वायु सेवा में वीर विजेता कर रैली में भाग लिया । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1 अक्टूबर 2024 को दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था ।रैली लगभग 7000 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है थोइस श्रीनगर जम्मू देहरादून आगरा लखनऊ गुवाहाटी से होते हुए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में संपन्न होगी। पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय हिस्सा ले रहे हैं जिन्होंने इस कार रैली का प्लान तैयार किया।
14 कारों में 28 प्रतिभागियों वाली टीम 14 अक्टूबर को देहरादून पहुंची जहां से फिर अब आगे के लिए रवाना हुई है युवाओं में साहसी भावनाओं को पैदा करना है। राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करना है। यात्रा का मूल मंत्र है एकता साहस शौर्य पराक्रम की भावना को पैदा करना।टीम जगह-जगह स्मारक स्थलों पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि भी समर्पित कर रही है जिन्होंने राष्ट्र के मान सम्मान की रक्षा की लड़ाई में अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान और त्याग दिया है
ग्रुप कैप्टन रमेश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि आज देश के युवाओं को साहसी मनोभाव से प्रेरित होने की आवश्यकता है व्यक्ति अपने साहस पराक्रम और शौर्य के लिए ही जाना जाता उनका कहना है कि एक शायर ने कहा था कि तेरा जीना तेरे मरने के बाद होगा । इससे साफ है मनुष्य को युवाओं को अपने पराक्रम और शोर के लिए प्रेरित होना चाहिए ।
ग्रुप कैप्टन रमेश चंद्र त्रिपाठी का बचपन से ही साहसी उत्साही स्वभाव रहे है । यही वजह है कि स्काई ड्राइविंग और पर्वतारोही का भी शौक था । उन्होंने 2005 में माउंट एवरेस्ट को फतह किया साथ ही सात महाद्वीपों की सबसे छोटी ऊंची चोटियों पर भी चढ़ने वाले देश के सशस्त्र बलों और अर्द्ध सैनिक बलों में पहले ऐसे अधिकारी बने है जिन्होंने इस रिकार्ड को बनाया उत्तराखंड के साथ देश का नाम रोशन किया । जिन चोटियों को उन्होंने फतह किया, वहां राष्ट्रध्वज को भी फहराया । भारत और विदेशों में 22 से अधिक सफलतापूर्वक पर्वतारोहण के अभियान को उन्होंने कामयाब बनाया
4000 से अधिक स्काई डाइविंग जंप किया है एवरेस्ट के बेस कैंप के क्षेत्र में पहली बार स्काई ड्राइव जंप करने और सबसे उंचे लैंडिंग के क्षेत्र में उतरकर विश्व में अपना रिकॉर्ड कायम किया ।पहले उत्साही मैराथन धावक एवरेस्ट मैराथन, पैराग्लाइडिंग पायलट ,पैराग्लाइडिंग, प्रशिक्षक, स्कूबा गोताखोर और उत्साही साइकिल चालक और एक गोल एफ खिलाड़ी भी हैं।वह एक निपुण साहसी व्यक्ति हैं मार्गदर्शक और समर्पित व्यक्ति हैं जो देश के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं उनका मूल मंत्र है आप केवल एक बार जीते हैं और यदि आप अच्छी तरह से जीते हैं तो वह एक बार ही काफी है ।