मीरनगर में जलसा इस्लाहे मुआशरह का हुआ आयोजन
भाईचारे को बढ़ावा देने पर जोर, उलेमाओं ने किया सामाजिक सौहार्द का आह्वान
रियासत अली सिद्दीकी
सीतापुर। जनपद के कस्बा खैराबाद के नजदीकी गांव मीरनगर में मदरसे के नज़दीकी मैदान में जलसा इस्लाहे मुआशरह का आयोजन किया गया, जिसमें कस्बे और आसपास के क्षेत्रों से लोग उपस्थित हुए। कार्यक्रम में आए उलेमाओं ने आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन पाक की तिलावत से की गई। इसके बाद मुरादाबाद से आये मौलाना तौहीद आलम कासमी साहब ने कुरआन पाक की तालीम पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कुरान की तालीम सबसे बेहतर है, क्योंकि यह इंसानियत की दिशा दिखाती है। मौलाना ने यह भी कहा कि दुनियावी तालीम के साथ-साथ कुरान की तालीम भी बेहद जरूरी है। जिससे माँ-बाप की हमारे जीवन मे अहमियत किया है जिसका क़ुरआन में ज़िक्र है। नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि अपने वालदेन की खिदमत करें उनका दिल न दुखाएं। इसके बाद बिहार प्रान्त के अररिया से आये मौलाना अब्दुल्लाह मो. सालिम चतुर्वेदी ने इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब के तरीकों को बताया और उस पर अमल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने हमेशा भाईचारे का संदेश दिया है। चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सभी आपस मे भाई-भाई है, हमें सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है। तभी समाज मे फैली बुराई को समाप्त किया जा सकता है। मौलाना चतुर्वेदी ने वेद, पुराण, गीता, बाइबिल, आदि को हिंदी उर्दू में उच्चारण करके मौजूद जनसमूह को समझाया की लगभग सभी पवित्र ग्रंथों का उद्देश्य एक ही है लेकिन आज समाज को राजनैतिक लोग बांटने का काम कर रहे। जिस पर हम सबको अमल करने की ज़रूरत नही है।
इसके उपरांत शायर अशद आज़मी आजमगढ़, मौलाना मो. उम्र अब्दुल्लाह बाराबंकी, मो. सुफियान प्रापगढ़ी, हाफिज मो. वसीम खैराबादी, आदि ने नातिया कलाम पेश कर जमकर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन मौलाना असअद अशरफ बिजनौरी ने किया। कार्यक्रम की सदारत क़ारी सलाहुद्दीन ने की।
मेहमाने खुशुसी मौलाना मो. राशिद साहब खैराबादी, मौलाना मो. सुहैल साहब खैराबादी, मौलाना मो. हाशिम, हाफिज मो. सिद्दीक़ साहब, आदि के साथ हज़ारों की संख्या में जनसमूह मौजूद रहा।